दिल्ली में पुराने वाहनों पर प्रतिबंध: पूरी जानकारी एक नजर में
दिल्ली सरकार ने राजधानी की वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। 1 अप्रैल 2025 से 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहन और 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन नहीं मिलेगा। यह कदम 55 लाख पुराने वाहनों के कारण बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाया गया है, जिनमें 66% दोपहिया और 54% चार पहिया वाहन शामिल हैं। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा के अनुसार, इस नीति से दिल्ली के AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) में 30-40% तक सुधार की उम्मीद है।
क्यों जरूरी है यह निर्णय? प्रदूषण के आंकड़े चौंकाने वाले
- दिल्ली दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार है। CPCB के 2023 के आंकड़ों के अनुसार, राजधानी में PM 2.5 का स्तर 200-300 µg/m³ तक पहुंच जाता है, जो WHO के मानकों से 10 गुना अधिक है।
- पुराने वाहन प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं। एक 15 साल पुराना पेट्रोल कार, नए वाहन की तुलना में 50% अधिक CO2 उत्सर्जित करता है।
- सुप्रीम कोर्ट (2018) और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) (2014) ने भी पुराने वाहनों पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए थे।
कैसे लागू होगा नया नियम? AI और सख्त निगरानी की रणनीति
1. पेट्रोल पंपों पर AI कैमरों की तैनाती
- दिल्ली के 500 पेट्रोल पंपों पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) वाले कैमरे लगाए जाएंगे। ये कैमरे वाहनों का रजिस्ट्रेशन नंबरस्कैन करके उनकी उम्र और PUCC (पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट) की जांच करेंगे।
- अगर वाहन निर्धारित आयु सीमा से अधिक पुराना है, तो ईंधन डिस्पेंसर स्वतः लॉक हो जाएगा।
2. विशेष निगरानी टीमों का गठन
- परिवहन विभाग और दिल्ली पुलिस की संयुक्त टीमें सड़कों पर रैंडम चेकिंग करेंगी।
- प्रतिबंधित वाहन चलाने पर ₹10,000 जुर्माना और वाहन जब्ती का प्रावधान होगा।
3. ऑनलाइन डेटाबेस से लिंक
- सभी पेट्रोल पंपों का सिस्टम Vahan पोर्टल से जुड़ेगा, जो वाहनों की रियल-टाइम जानकारी अपडेट करेगा।
सार्वजनिक परिवहन में क्रांति: CNG से इलेक्ट्रिक की ओर
दिल्ली सरकार न केवल निजी वाहनों, बल्कि सार्वजनिक परिवहन को भी प्रदूषण-मुक्त बनाने पर फोकस कर रही है:
इलेक्ट्रिक बसों का विस्तार
- दिसंबर 2025 तक 90% CNG बसों (लगभग 5,000) को इलेक्ट्रिक बसों से बदला जाएगा।
- 2026 तक कुल 11,000 नई बसें खरीदी जाएंगी, जिनमें से 8,000 इलेक्ट्रिक होंगी।
- वर्तमान में, दिल्ली में केवल 2,002 इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं, जो कुल बसों का 26% हैं।
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण
- शहर में 300 नए चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे, जिनमें से 50% बस डिपो के पास होंगे।
- इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर सब्सिडी योजना भी जारी की जाएगी।
आम नागरिकों के लिए क्या है योजना?
- स्क्रैपेज पॉलिसी: पुराने वाहनों को स्क्रैप कराने पर नए वाहन पर 5% छूट मिलेगी।
- लोन सुविधा: बैंकों के साथ मिलकर इलेक्ट्रिक वाहनों पर कम ब्याज दर पर लोन की व्यवस्था की जाएगी।
- जागरूकता अभियान: परिवहन विभाग वर्कशॉप और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को नए नियमों से अवगत कराएगा।
क्या होगा चुनौतियां?
- पुराने वाहनों का अवैध प्रयोग: दिल्ली की सीमा से सटे राज्यों (जैसे UP, Haryana) में पंजीकृत वाहनों का दुरुपयोग रोकना।
- ईंधन पंप मालिकों का विरोध: नए सिस्टम को लगाने में आने वाली लागत और तकनीकी दिक्कतें।
- आम जनता की सुविधा: इलेक्ट्रिक वाहनों की उच्च कीमत और चार्जिंग की सुविधा का अभाव।
अन्य राज्यों के लिए मिसाल
दिल्ली का यह कदम भारत के अन्य प्रदूषित शहरों (जैसे मुंबई, कोलकाता, चेन्नई) के लिए एक मॉडल बन सकता है। NITI आयोग ने 2024 की रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि 15 साल से पुराने वाहनों पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध लगाया जाए।
निष्कर्ष: स्वच्छ हवा की ओर बढ़ता कदम
दिल्ली सरकार का यह फैसला पर्यावरण संरक्षण और जन स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा कदम है। हालांकि, इसके सफल क्रियान्वयन के लिए जनता का सहयोग और इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विकास जरूरी है। अगर यह योजना सही ढंग से लागू होती है, तो दिल्लीवासियों को साफ हवा और हरियाली भरा भविष्य मिल सकता है।