भूमिका
एपल ने एक बड़ा फैसला लेते हुए अमेरिका में बिकने वाले सभी आईफोन का उत्पादन भारत में शिफ्ट करने की योजना बनाई है। यह कदम 2026 तक पूरी तरह लागू होगा, जिसमें सालाना 6 करोड़ से अधिक आईफोन भारत में बनाए जाएंगे। यह खबर एपल की “चीन+1” रणनीति को और मजबूत करती है, जिसमें कंपनी चीन के अलावा भारत जैसे देशों में अपना उत्पादन बढ़ा रही है।
इस फैसले के पीछे चीन-अमेरिका टैरिफ वॉर, भारत सरकार की PLI योजना और कम लागत में बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे कारण हैं। आइए, विस्तार से जानते हैं कि एपल का यह फैसला भारत और ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे प्रभावित करेगा।
एपल का भारत में बढ़ता निवेश: मुख्य बिंदु
1. 2026 तक 6 करोड़+ आईफोन का लक्ष्य
एपल ने भारत में अपने उत्पादन को लेकर एम्बिशियस प्लान बनाया है:
- 2025 से शुरुआत, 2026 तक पूरी क्षमता हासिल करना।
- सालाना 6 करोड़+ आईफोन का उत्पादन, जो वर्तमान क्षमता से दोगुना है।
- अमेरिका को एक्सपोर्ट किए जाने वाले 70% आईफोन भारत में बनेंगे।
2. चीन पर निर्भरता कम करने की रणनीति
- अभी भी 28% आईफोन चीन में बनते हैं।
- जियोपॉलिटिकल टेंशन और टैरिफ वॉर के कारण एपल चीन के बाहर विकल्प तलाश रहा था।
- भारत में हर 5 में से 1 आईफोन पहले से ही बन रहा है।
3. भारत में एपल का बढ़ता उत्पादन
- मार्च 2024 से मार्च 2025 के बीच ₹1.88 लाख करोड़ (22 बिलियन डॉलर) के आईफोन बनाए गए।
- पिछले साल की तुलना में 60% की बढ़ोतरी हुई है।
- ₹1.49 लाख करोड़ (17.4 बिलियन डॉलर) के आईफोन एक्सपोर्ट किए गए।
भारत को क्यों चुन रहा है एपल?
1. चीन के मुकाबले कॉस्ट एडवांटेज
- भारत में लेबर कॉस्ट चीन से कम है।
- इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट्स की उपलब्धता बढ़ रही है।
- इंपोर्ट टैरिफ में छूट से एक्सपोर्ट को फायदा।
2. मेक इन इंडिया और PLI स्कीम का सपोर्ट
- भारत सरकार की PLI (Production Linked Incentive) स्कीम के तहत कंपनियों को वित्तीय सहायता मिलती है।
- फॉक्सकॉन, टाटा और पेगाट्रॉन जैसी कंपनियों ने भारत में बड़े प्लांट्स लगाए हैं।
- मेक इन इंडिया के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिल रहा है।
3. बढ़ता भारतीय स्मार्टफोन मार्केट
- भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन मार्केट है।
- मिडिल क्लास की बढ़ती क्रय शक्ति से आईफोन की डिमांड बढ़ रही है।
- FY2024 में 8 बिलियन डॉलर (₹66,000 करोड़) की सेल हुई।
4. ग्लोबल सप्लाई चेन में भारत की बढ़ती भूमिका
- एपल भारत को एक्सपोर्ट हब के रूप में विकसित कर रहा है।
- यूरोप और अमेरिका को भारत से सीधे एक्सपोर्ट होने से टैरिफ बचत होगी।
- फॉक्सकॉन कर्नाटक में ₹23,000 करोड़ के नए प्लांट का निर्माण कर रहा है।
भारत में आईफोन मैन्युफैक्चरिंग: प्रमुख प्लेयर्स
1. फॉक्सकॉन (हॉन हाई)
- एपल का सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर।
- तमिलनाडु और कर्नाटक में बड़े प्लांट्स।
- उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में 300 एकड़ में नया प्लांट बनाएगा।
2. टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स
- पेगाट्रॉन के साथ पार्टनरशिप में आईफोन असेंबली।
- तमिलनाडु में बड़े स्तर पर इन्वेस्टमेंट।
3. विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन
- कर्नाटक और तेलंगाना में उत्पादन इकाइयाँ।
भविष्य की संभावनाएं: क्या होगा असर?
1. रोजगार के नए अवसर
- 50,000+ नई नौकरियां सृजित होने की उम्मीद।
- स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स से टेक्निकल वर्कफोर्स को फायदा।
2. भारत का ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनना
- इलेक्ट्रॉनिक्स एक्सपोर्ट 2027 तक $120 बिलियन तक पहुंच सकता है।
- चीन के विकल्प के रूप में भारत उभर रहा है।
3. एपल के लिए फायदे
- टैरिफ वॉर से बचाव।
- भारतीय बाजार में बढ़ती पकड़।
निष्कर्ष
एपल का भारत में आईफोन प्रोडक्शन बढ़ाने का फैसला न सिर्फ “मेक इन इंडिया” को बल देगा, बल्कि भारत को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने में मदद करेगा। 2026 तक 6 करोड़+ आईफोन के उत्पादन से भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर और मजबूत होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1. एपल भारत में कितने आईफोन बना रहा है?
➔ 2025 तक 6 करोड़+ यूनिट्स सालाना का लक्ष्य है।
Q2. आईफोन की असेंबली कहाँ होती है?
➔ तमिलनाडु (फॉक्सकॉन), कर्नाटक (विस्ट्रॉन) और उत्तर प्रदेश (नया प्लांट)।
Q3. भारत में आईफोन की कीमत कम होगी?
➔ लोकल प्रोडक्शन से 10-15% तक सस्ता हो सकता है।
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