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भारत में स्टारलिंक की एंट्री से पहले केंद्र सरकार ने रखीं ये 3 बड़ी शर्तें – कंट्रोल सेंटर और डेटा सुरक्षा जरूरी

एलोन मस्क की स्टारलिंक को भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा शुरू करने से पहले कंट्रोल सेंटर स्थापित करना होगा। सुरक्षा एजेंसियों को कॉल इंटरसेप्शन और डेटा एक्सेस देना अनिवार्य। पढ़ें पूरी अपडेट।

भारत में स्टारलिंक की एंट्री -Current Affairs

स्टारलिंक को मिल रहा ग्रीन सिग्नल, लेकिन सरकार की शर्तें कड़ी

एलोन मस्क की कंपनी स्टारलिंक जल्द ही भारत में सैटेलाइट आधारित हाई-स्पीड इंटरनेट सेवा शुरू करने वाली है। हालांकि, केंद्र सरकार ने इसके लिए कुछ सख्त शर्तें तय की हैं, जिनमें देश में कंट्रोल सेंटर बनाना और सुरक्षा एजेंसियों को डेटा निगरानी की अनुमति देना शामिल है। सरकार का मकसद राष्ट्रीय सुरक्षा और उपभोक्ताओं के डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।


स्टारलिंक की भारत एंट्री से जुड़े सभी सवालों के जवाब


सरकार की 3 बड़ी शर्तें: स्टारलिंक के लिए क्या है जरूरी? 

भारत सरकार ने स्टारलिंक को लाइसेंस देने से पहले निम्नलिखित शर्तें रखी हैं:

  1. भारत में कंट्रोल सेंटर:
    • आपातकालीन स्थिति में इंटरनेट सेवा बंद करने के लिए कंट्रोल सेंटर देश के अंदर होना चाहिए।
    • यह शर्त देश की सुरक्षा और कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए रखी गई है।
  2. सुरक्षा एजेंसियों को डेटा एक्सेस:
    • स्टारलिंक को भारतीय सुरक्षा एजेंसियों (जैसे IB, RAW) को कॉल इंटरसेप्ट और डेटा मॉनिटरिंग की सुविधा देनी होगी।
    • विदेश से आने वाले कॉल्स को सीधे फॉरवर्ड करने के बजाय, भारतीय गेटवे से होकर गुजरना होगा।
  3. डेटा लोकलाइजेशन:
    • यूजर्स का डेटा भारत में स्टोर किया जाएगा, ताकि सरकार की निगरानी में रहे।

स्टारलिंक और भारतीय टेलीकॉम कंपनियों की साझेदारी 

स्टारलिंक ने भारत में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए देश की दो बड़ी टेलीकॉम कंपनियों जियो और एयरटेल के साथ करार किया है:


स्टारलिंक कैसे बदलेगी भारत के इंटरनेट लैंडस्केप को? 

1. ग्रामीण भारत में डिजिटल क्रांति (H3)

2. आपदा प्रबंधन में मदद (H3)


स्टारलिंक vs पारंपरिक इंटरनेट: 5 बड़े अंतर 

  1. टेक्नोलॉजी:
    • स्टारलिंक – सैटेलाइट-आधारित, जियो/एयरटेल – फाइबर/मोबाइल टावर।
  2. स्पीड:
    • स्टारलिंक: 150 Mbps (दावा), जियो फाइबर: 1 Gbps।
  3. लेटेंसी:
    • स्टारलिंक: 20-40 ms, पारंपरिक सैटेलाइट: 600 ms।
  4. लागत:
    • स्टारलिंक उपकरण की कीमत 45,000 रुपए (अनुमानित), जबकि जियो का राउटर मुफ्त।
  5. उपयोगकर्ता:
    • स्टारलिंक: ग्रामीण/दुर्गम क्षेत्र, जियो/एयरटेल: शहरी और अर्ध-शहरी इलाके।

चुनौतियां: स्टारलिंक के सामने क्या रुकावटें हैं? 

  1. ऊंची कीमत:
    • स्टारलिंक की मासिक सब्सक्रिप्शन फीस 1,500-2,500 रुपए हो सकती है, जो भारतीय ग्राहकों के लिए महंगी है।
  2. प्रतिस्पर्धा:
    • भारत में वनवेब (एयरटेल समर्थित) और जियो सैटकॉम जैसी कंपनियां पहले से मौजूद हैं।
  3. रेगुलेटरी अड़चनें:
    • डेटा लोकलाइजेशन और सुरक्षा नियमों का पालन करने में अतिरिक्त लागत आएगी।

भारत में सैटेलाइट इंटरनेट का भविष्य: KPMG की रिपोर्ट के आंकड़े 


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs) 

Q1. स्टारलिंक का मासिक खर्च कितना होगा?

Q2. क्या स्टारलिंक 5G का विकल्प है?

Q3. स्टारलिंक के लिए क्या हार्डवेयर चाहिए?


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