भारत में स्टारलिंक की एंट्री से पहले केंद्र सरकार ने रखीं ये 3 बड़ी शर्तें – कंट्रोल सेंटर और डेटा सुरक्षा जरूरी

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स्टारलिंक को मिल रहा ग्रीन सिग्नल, लेकिन सरकार की शर्तें कड़ी

एलोन मस्क की कंपनी स्टारलिंक जल्द ही भारत में सैटेलाइट आधारित हाई-स्पीड इंटरनेट सेवा शुरू करने वाली है। हालांकि, केंद्र सरकार ने इसके लिए कुछ सख्त शर्तें तय की हैं, जिनमें देश में कंट्रोल सेंटर बनाना और सुरक्षा एजेंसियों को डेटा निगरानी की अनुमति देना शामिल है। सरकार का मकसद राष्ट्रीय सुरक्षा और उपभोक्ताओं के डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।


स्टारलिंक की भारत एंट्री से जुड़े सभी सवालों के जवाब

  • क्या? स्टारलिंक भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवा लॉन्च करेगी, जिससे दूरदराज़ के इलाकों में हाई-स्पीड कनेक्टिविटी मिलेगी।
  • कब? लाइसेंसिंग प्रक्रिया अंतिम चरण में है, सेवा 2024 के अंत तक शुरू हो सकती है।
  • कहां? पूरे भारत में, खासकर ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में।
  • क्यों? देश की 59.1% ग्रामीण आबादी तक इंटरनेट पहुंचाने के लिए।
  • कौन? स्टारलिंक, भारती एयरटेल और रिलायंस जियो के साथ मिलकर काम करेगी।
  • कैसे? 7,000+ सैटेलाइट्स के नेटवर्क और भारतीय टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर के मिश्रण से।

सरकार की 3 बड़ी शर्तें: स्टारलिंक के लिए क्या है जरूरी? 

भारत सरकार ने स्टारलिंक को लाइसेंस देने से पहले निम्नलिखित शर्तें रखी हैं:

  1. भारत में कंट्रोल सेंटर:
    • आपातकालीन स्थिति में इंटरनेट सेवा बंद करने के लिए कंट्रोल सेंटर देश के अंदर होना चाहिए।
    • यह शर्त देश की सुरक्षा और कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए रखी गई है।
  2. सुरक्षा एजेंसियों को डेटा एक्सेस:
    • स्टारलिंक को भारतीय सुरक्षा एजेंसियों (जैसे IB, RAW) को कॉल इंटरसेप्ट और डेटा मॉनिटरिंग की सुविधा देनी होगी।
    • विदेश से आने वाले कॉल्स को सीधे फॉरवर्ड करने के बजाय, भारतीय गेटवे से होकर गुजरना होगा।
  3. डेटा लोकलाइजेशन:
    • यूजर्स का डेटा भारत में स्टोर किया जाएगा, ताकि सरकार की निगरानी में रहे।

स्टारलिंक और भारतीय टेलीकॉम कंपनियों की साझेदारी 

स्टारलिंक ने भारत में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए देश की दो बड़ी टेलीकॉम कंपनियों जियो और एयरटेल के साथ करार किया है:

  • एयरटेल के साथ समझौता:
    • एयरटेल के 1,500+ रिटेल स्टोर्स पर स्टारलिंक के उपकरण (डिश, राउटर) बेचे जाएंगे।
    • स्कूलों, अस्पतालों और व्यवसायों को प्राथमिकता देते हुए सर्विस शुरू की जाएगी।
  • जियो के साथ नेटवर्क शेयरिंग:
    • जियो के फाइबर नेटवर्क और स्टारलिंक की सैटेलाइट टेक्नोलॉजी को इंटीग्रेट किया जाएगा।
    • रिलायंस ने पिछले 5 साल में 26,000 करोड़ रुपए टेलीकॉम इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च किए हैं।

स्टारलिंक कैसे बदलेगी भारत के इंटरनेट लैंडस्केप को? 

1. ग्रामीण भारत में डिजिटल क्रांति (H3)

  • समस्या: भारत के 6 लाख गांवों में से 40% में अभी भी इंटरनेट की पहुंच नहीं है।
  • समाधान: स्टारलिंक का सैटेलाइट नेटवर्क बिना फिजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर के इन क्षेत्रों में इंटरनेट पहुंचाएगा।
  • प्रभाव: ऑनलाइन एजुकेशन, टेलीमेडिसिन और ई-गवर्नेंस सेवाओं को बढ़ावा मिलेगा।

2. आपदा प्रबंधन में मदद (H3)

  • स्टारलिंक का नेटवर्क बाढ़, भूकंप जैसी आपदाओं के दौरान भी काम करेगा, जब पारंपरिक नेटवर्क फेल हो जाते हैं।

स्टारलिंक vs पारंपरिक इंटरनेट: 5 बड़े अंतर 

  1. टेक्नोलॉजी:
    • स्टारलिंक – सैटेलाइट-आधारित, जियो/एयरटेल – फाइबर/मोबाइल टावर।
  2. स्पीड:
    • स्टारलिंक: 150 Mbps (दावा), जियो फाइबर: 1 Gbps।
  3. लेटेंसी:
    • स्टारलिंक: 20-40 ms, पारंपरिक सैटेलाइट: 600 ms।
  4. लागत:
    • स्टारलिंक उपकरण की कीमत 45,000 रुपए (अनुमानित), जबकि जियो का राउटर मुफ्त।
  5. उपयोगकर्ता:
    • स्टारलिंक: ग्रामीण/दुर्गम क्षेत्र, जियो/एयरटेल: शहरी और अर्ध-शहरी इलाके।

चुनौतियां: स्टारलिंक के सामने क्या रुकावटें हैं? 

  1. ऊंची कीमत:
    • स्टारलिंक की मासिक सब्सक्रिप्शन फीस 1,500-2,500 रुपए हो सकती है, जो भारतीय ग्राहकों के लिए महंगी है।
  2. प्रतिस्पर्धा:
    • भारत में वनवेब (एयरटेल समर्थित) और जियो सैटकॉम जैसी कंपनियां पहले से मौजूद हैं।
  3. रेगुलेटरी अड़चनें:
    • डेटा लोकलाइजेशन और सुरक्षा नियमों का पालन करने में अतिरिक्त लागत आएगी।

भारत में सैटेलाइट इंटरनेट का भविष्य: KPMG की रिपोर्ट के आंकड़े 

  • 2028 तक भारत का सैटेलाइट कम्युनिकेशन मार्केट 1.7 लाख करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान।
  • सरकार की डिजिटल इंडिया योजना के तहत 2025 तक सभी गांवों को इंटरनेट से जोड़ने का लक्ष्य।
  • स्टारलिंक जैसी सेवाएं देश के डिजिटल डिवाइड को कम करने में अहम भूमिका निभाएंगी।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs) 

Q1. स्टारलिंक का मासिक खर्च कितना होगा?

  • अंतरराष्ट्रीय कीमतों के आधार पर अनुमान: 1,500-2,500 रुपए प्रति माह + 45,000 रुपए (एक बार का उपकरण शुल्क)।

Q2. क्या स्टारलिंक 5G का विकल्प है?

  • नहीं, यह ग्रामीण क्षेत्रों के लिए पूरक सेवा है। शहरों में 5G और फाइबर प्रमुख रहेंगे।

Q3. स्टारलिंक के लिए क्या हार्डवेयर चाहिए?

  • एक छोटा डिश (व्यास: 50 सेमी), राउटर और पावर सप्लाई। इसे छत या खुले मैदान में लगाना होगा।

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