Tesla: टेस्ला की राह में कांटे ही कांटे, भारत तो आ जाएगी कार, लेकिन चार्ज करने में छूटेंगे पसीने, जानिए वजह


टेस्ला के लिए भारत में क्यों है चुनौतियां? (5W1H)

क्या? भारत की नई ईवी नीति के तहत, टेस्ला जैसी विदेशी कंपनियों को चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर सीमित निवेश करना होगा।
कब? हाल ही में जारी नीति के अनुसार।
कहां? भारतीय बाजार में।
क्यों? सरकार चाहती है कंपनियां पहले फैक्ट्री लगाएं, न कि सिर्फ आयातित कार बेचें।
कौन? एलन मस्क की टेस्ला और अन्य वैश्विक ईवी ब्रांड।
कैसे? 500 मिलियन डॉलर निवेश के बाद ही आयात शुल्क में छूट मिलेगी।


फैक्ट्री लगाना है अनिवार्य

फैक्ट्री लगाना है अनिवार्य
Tesla car photo by the American prospect

नई EV Policy के मुताबिक, भारत में कार बेचने के लिए कंपनियों को:

  • 4,150 करोड़ रुपये का शुरुआती निवेश करना होगा।
  • प्रति वर्ष 8,000 यूनिट कारें 15% रियायती शुल्क पर आयात कर सकती हैं।
  • 5 साल में 10,500 करोड़ रुपये का रेवेन्यू लक्ष्य पूरा करना जरूरी।

टेस्ला चाहती है पहले आयात कर बाजार टेस्ट करे, लेकिन नीति उसे फैक्ट्री लगाने को बाध्य करती है।


चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर सिर्फ 5% निवेश की अनुमति

EV नीति का सबसे बड़ा झटका चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर है:

  • कुल निवेश का अधिकतम 5% ही चार्जिंग स्टेशनों पर खर्च कर सकती हैं कंपनियां।
  • उदाहरण: 1,000 करोड़ के निवेश में सिर्फ 50 करोड़ चार्जिंग के लिए।
  • इससे भारत में ईवी अपनाने की रफ्तार प्रभावित हो सकती है।

चार्जिंग स्टेशनों की कमी: टेस्ला के लिए बड़ी रुकावट

Tesla: टेस्ला की राह में कांटे ही कांटे, भारत तो आ जाएगी कार, लेकिन चार्ज करने में छूटेंगे पसीने, जानिए वजह
Tesla car on Charging point-photo by the New York Time
  • टेस्ला ने अमेरिका और यूरोप में अपना सुपरचार्जर नेटवर्क विकसित किया है, लेकिन भारत में यह संभव नहीं।
  • देश में ईवी बिक्री बढ़ रही है, पर चार्जिंग पॉइंट्स की कमी उपभोक्ताओं को हतोत्साहित करती है।
  • सरकार का फोकस लोकल मैन्युफैक्चरिंग पर है, जबकि चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पीछे छूट रहा है।

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